फिसलते मुट्ठी भर वक्त रोक न सका। फिसलते मुट्ठी भर वक्त रोक न सका।
ठंड से कांपता हुआ, कंबल में दुबका मैं। लाचार वसंत पर, जोर से चिल्लाया। ठंड से कांपता हुआ, कंबल में दुबका मैं। लाचार वसंत पर, जोर से चिल्लाया।
मुबारक हो जन्नत किसी और को अब जहन्नुम मिले साथ माँ चाहता हूँ। मुबारक हो जन्नत किसी और को अब जहन्नुम मिले साथ माँ चाहता हूँ।
क्योंकि उसके अर्थ को तितलियाँ आज भी नहीं समझ पायी। क्योंकि उसके अर्थ को तितलियाँ आज भी नहीं समझ पायी।
तूफानों से लड़कर आते , पत्थर के प्रहार भी सहते नमन भारत के लाल को जो वारे देश पर शरी तूफानों से लड़कर आते , पत्थर के प्रहार भी सहते नमन भारत के लाल को जो वार...
पहले के बाद दुसरी बार भी इश्क होता है... कैसे....???? पहले के बाद दुसरी बार भी इश्क होता है... कैसे....????